
नज़र का फर्क है,नज़रे बदल देती है नज़रो को,
वो नज़रे फेर लेते है मै जब नज़रे मिलाता हूँ,
मै गुमनामी के सायो मे हमेशा मस्त रहता हूँ,
वो कहते है मै सच से बेवज़ह नज़रे चुराता हूँ !!
बूंदों से बना हुआ छोटा सा समन्दर,
लहरों से भीगती छोटी सी बस्ती,
चल ढूंढे बारिश में बचपन का साहिल,
हाथ में लेकर एक कागज की कश्ती...
No comments:
Post a Comment